Tuesday, 26 July 2016

मौत से पहले यमराज भेजते हैं 4 संदेश

कुछ नियम ऐसे होते हैं, जिसे हर किसी को मानना पड़ता है, भले ही वह कोई खास व्यक्ति हो या फिर आम. जैसे सृष्टि के नियम से न सिर्फ़ इंसान बंधा होता है, बल्कि भगवान भी उतने ही बंधे होते हैं और उन नियमों का पालन उन्हें भी करना होता है. यही कारण है कि इस धरती पर भगवान राम को भी जन्म लेकर मरना पड़ता है और भगवान कृष्ण को भी. एक ही ज़िंदगी और इसी एक ज़िंदगी में हर इंसान को अपने ढेर सारे सपने और इच्छाएं पूरी करनी होती हैं. ज़िंदगी इन्हीं सपनों और भागम-भाग की दौड़ में कटती चली जाती है और हम यह भी भूल जाते हैं कि मौत को भी हमारे दरवाजे पर एक दिन दस्तक देनी है.
भले ही आपकी इच्छाएं अनंत हैं, अगर आपको पहले ही पता चल जाए कि आपकी मौत कब होनी है, तो जाहिर सी बात है कि आप अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं. आप भले ही इस बात से इंकार करें या न मानें लेकिन ये बात सच है कि यमलोक के दूत हर इंसान को यमराज के 4 संदेश भेजते हैं, जो याद दिलाते हैं कि अब ज़िंदगी  का खाता जल्द ही बंद होने वाला है.
गौरतलब है कि मृत्यु के देवता, भगवान यम को दक्षिण के लोकपाल (सभी दिशाओं के अभिभावक) के रूप में जाना जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यम पहले ऐसे प्राणी थे, जिनकी मृत्यु हुई थी. उनकी इन्हीं वरीयता के आधार पर भगवान शिव ने उन्हें मरने वाले लोगों के शासक के रूप में ताज पहनाया.
ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के समय आत्मा को स्वर्ग या नरक के द्वार पर साथ ले जाने के लिए यमदूत पृथ्वीलोक पर आते हैं, जहां यमराज के सामने इंसान के कर्मों के लिए आत्मा को फटकार लगाई जाती है. उनके सामने अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर दंड दिया जाता है.

यमलोक में यमराज इंसान के कर्मों के आधार पर स्वर्ग और नरक का फैसला करते हैं. प्राचीन शास्त्रों में उल्लेख के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि यमराज ने अपने एक भक्त अमृत को वचन दिया था कि वे हर किसी के मौत से पहले इसकी सूचना भेजेंगे, ताकि लोगों को पता हो जाए कि उसकी मृत्यु कब होने वाली है और उस बीच में वह अपने सारे अधूरे काम कर सके.
यमराज और अमृत की जबरदस्त कहानी है.
एक समय की बात है, यमुना के किनारे अमृत नाम का व्यक्ति रहा करता था. वह यम देवता की दिन-रात पूजा किया करता क्योंकि उसे अकसर अपनी मौत का भय सताता रहता था. मौत को दूर रखने के लिए वह यमराज से दोस्ती करना चाहता था.

यमराज अमृत की तपस्या से प्रभावित हुए. जब यमराज प्रकट हुए, तो अमृत ने यम से अमरता का वरदान मांगना चाहा. तब यम ने अमृत को समझाया, जिसने जन्म लिया है, उसे एक दिन मरना भी है. यही शाश्वत नियम है. कोई भी मृत्यु से बच नहीं सकता है. अमृत ने कृतज्ञ भाव से यम से कहा कि मैं अपनी दोस्ती के नाते एक और निवेदन करता हूं. अगर मौत को टाला नहीं जा सकता, तो कम से कम जब मौत मेरे बिल्कुल करीब हो, तो मुझे पता चल जाए ताकि मैं अपने परिवार के लिए कुछ प्रबंध कर सकूं.
इसके बाद यम ने अमृत को मौत की पूर्व सूचना देने का वादा कर दिया. यम ने इसके बदले में अमृत से कहा कि वह भी वादा करे कि जैसे ही उसे मृत्यु का संकेत मिलेगा, वह संसार से विदा लेने की तैयारी करना शुरू कर देगा. यह कहने के बाद यमराज अदृश्य हो गए.
ऐसे ही साल बीतते गए और अमृत ने यम के वादे से आश्वस्त होकर सारी साधना छोड़कर विलासितापूर्ण जीवन जीना शुरू कर दिया. मौत की अब उसे ज़रा भी चिंता नहीं होती थी. धीरे-धीरे उसके बाल सफेद होने लगे.
कुछ साल बाद, उसके सारे दांत टूट गए, फिर उसकी आंखों की रोशनी भी कमजोर हो गई. फिर भी अभी तक उसे कोई यमराज का कोई संदेश नहीं मिला था.

इसी तरह, कुछ साल और बीते और अब वह बिस्तर से उठने में भी असमर्थ हो गया, उसका शरीर बिल्कुल लकवाग्रस्त जैसी स्थिति में पहुंच गया. लेकिन उसने मन ही मन अपने दोस्त यम को मौत का कोई संदेश न भेजने के लिए धन्यवाद दिया.
पहला संदेश- बालों का सफेद होना.
दूसरा संदेश- दांत गिरना.
तीसरा संदेश- ज्ञानेन्द्रियों का कमजोर पड़ना.
चौथा संदेश- कमर झुक जाना.
एक दिन वह हैरान रह गया, जब उसने अपने पास यमदूतों को देखा. उसने परेशान होकर घर में यमराज का पत्र ढूंढना शुरू कर दिया पर उसे ऐसा कोई पत्र नहीं मिला. जब वह यमलोक पहुंचा, तो उसने यम को मुस्कुराते हुए देखा. उसने यमराज पर धोखा देने का आरोप लगाया.

अमृत ने कहा, आपने मेरे साथ धोखा किया, आपने अपना वादा नहीं निभाया. आपने वादा किया था कि आप मुझे मौत से पहले संदेश भेजोगे, लेकिन मुझे कोई संदेश नहीं भेजा. क्या आपको अपने दोस्त को धोखा देने में कोई शर्म नहीं आई?
तब यमराज ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया, मैंने तुम्हें 4 संदेश भेजे थे लेकिन तुम्हारी लिप्सा और विलासितापूर्ण जीवन शैली ने तुम्हें अंधा बना दिया था. यमराज ने कहा कि तुम बेवकूफ थे, जो तुम्हें लगा कि मैं तुम्हें पेन से कागज पर लिखकर संदेश भेजूंगा. शारीरिक अवस्थाएं मेरी पेन है और समय मेरा दूत. जब तुम्हारे बाल सफेद हो गए थे वह पहला संकेत था. जब तुम्हारे सारे दांत टूट गए, वह मेरा दूसरा संकेत था. तीसरा संकेत जब तुमने अपनी दृष्टि खो दी और चौथा संदेश था- जब तुम्हारे शरीर के सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया. लेकिन तुम इनमें से किसी संकेत को समझ न सके.

तो दोस्तों, यह सत्य है कि हर इंसान को अपनी मौत से पहले ये संकेत मिलते हैं लेकिन तृष्णाओं और विलासिता में अंधे इंसानों को कोई संकेत समझ में कहां आता है! अगर आप इन बातों से सहमत हैं, तो इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें और अपने दोस्तों को इस सच्चाई से अवगत कराएं.

By onkar m

Tuesday, 12 July 2016

निकोला टेस्ला

निकोला टेस्ला
( बिना तार के बिजली भेजने का फार्मूला)
-    निकोला टेस्ला अपने समय के काफी मशहूर वैज्ञानिक थे
-    टेस्ला ने अल्टरनेटिंग करंट का अविष्कार किया था तो आज-कल आम जीवन का हिस्सा है।
-    रेडियो ट्रांसमीटर और फ्लोरोसेंट लैंप का अविष्कार भी टेस्ला ने किया था।
-    19 वीं शताब्दी की शुरुआत में टेस्ला अमेरिका के महानतम इलेक्ट्रिकल इंजीनियर माने जाते थे
-    निवेशक जेपी मॉर्गन की फंडिंग से टेस्ला ने बिना तारों के बिजली को भेजने से जुड़े प्रयोग शुरू किए।
-    अमेरिका में आई आर्थिक मंदी से ये प्रोजेक्ट बीच समय में ही रोकना पड़ गया।
-    1943 में अपनी मौत के वक्त टेस्ला काफी हद तक बिजली को वायुमंडल की मदद से कहीं भी भेजने के काफी करीब पहुंच गए थे।
हालांकि उनकी मौत के बाद ये प्रोजेक्ट ठप हो गया।
-    टेस्ला अपने नोट्स में पूरी जानकारी नहीं देते थे, वो अपनी याददाश्त पर भरोसा करते थे। ऐसे उनकी मौत के बाद साइंटिस्ट उनके एक्सपेरीमेंट्स को दोहरा नहीं सके। वायरलैस इलेक्ट्रिसिटी को लेकर उनके प्रयोग किस स्तर तक पहुंच गए थे ये राज आज तक बना हुआ है।

जॉन स्लोत

जॉन स्लोट
( 10 जीबी की मूवी को 8 केबी में बदलने की डिवाइस का रहस्य)
-    1990 की शुरुआत में डच वैज्ञानिक जॉन स्लोट ने एक डाटा कंप्रेशन सिस्टम बनाने का दावा किया था।
-    उनके मुताबिक ये डिवाइस 10 जीबी की मूवी को 8 केबी में बदल सकती है।
- इससे मूवी की क्वालिटी में कोई असर नहीं पड़ता।
-    इस तकनीक से डाटा ट्रांसफर की दुनिया में तहलका मच सकता था।
-    इस सिस्टम को खरीदने के लिए टेक कंपनी फिलिप्स ने स्लोट के साथ करार करने का फैसला किया।
-    डील साइन करने के एक दिन पहले स्लोट की मौत हो गई।
-    मौत के बावजूद फिलिप्स ने इस स्लोट डिजिटल कोडिंग सिस्टम को खऱीदने का फैसला किया।
-    सिस्टम खरीदने के बाद कंपनी के बोर्ड मेंबर को पता चला कि इस सिस्टम से जुड़ी एक फ्लापी डिस्क गायब है।
- सालों की खोज के बाद भी इस डिस्क का पता नहीं चला और ये सिस्टम काम नहीं कर सका।

जान बैस्लार

जॉन बैस्लर
( बिना ईंधन के चलने वाली मशीन)
-    सन 1712 में जर्मन के एक कारोबारी ने ऐसी मशीन बनाने का दावा किया जो बिना किसी मदद के लगातार चलती रहती थी।
-    1717 में जॉन के प्रयोग में करीब 7 फीट ऊंची ये व्हील लगातार 54 दिन तक चलती रही।
-    प्रयोग देखने वालो में कई मशहूर वैज्ञानिक, फिलॉस्फर और मैथमैटिशियन मौजूद थे।
-    प्रयोग के बाद बैस्लर ने अपना रहस्य उजागर करने के लिए 20 हजार पौंड की मांग की।
-    रूस के जार ने उनकी शर्त मान ली और अधिकारियों को बैस्लर के पास भेज दिया।
-    हालांकि किसी अनजान डर की वजह से बैस्लर ने अपनी मशीन को नष्ट कर दिया।
- 1745 में अपनी मौत तक बैस्लर ने कभी नहीं बताया कि उसकी मशीन कैसे काम करती थी
-    आज साइंस ऐसी डिवाइस बना चुका है, जो बिना बाहरी मदद के चलती रहती हैं। हालांकि ये काफी छोटी और खास कंडीशन में ही काम करती हैं जिससे इनका कोई व्यवहारिक इस्तेमाल नहीं है।
- ये आज तक रहस्य है कि बैस्लर ने करीब 7 फुट ऊंचे सिस्टम को इतने दिनों तक कैसे चलाया।

जान बैस्लार

जॉन बैस्लर
( बिना ईंधन के चलने वाली मशीन)
-    सन 1712 में जर्मन के एक कारोबारी ने ऐसी मशीन बनाने का दावा किया जो बिना किसी मदद के लगातार चलती रहती थी।
-    1717 में जॉन के प्रयोग में करीब 7 फीट ऊंची ये व्हील लगातार 54 दिन तक चलती रही।
-    प्रयोग देखने वालो में कई मशहूर वैज्ञानिक, फिलॉस्फर और मैथमैटिशियन मौजूद थे।
-    प्रयोग के बाद बैस्लर ने अपना रहस्य उजागर करने के लिए 20 हजार पौंड की मांग की।
-    रूस के जार ने उनकी शर्त मान ली और अधिकारियों को बैस्लर के पास भेज दिया।
-    हालांकि किसी अनजान डर की वजह से बैस्लर ने अपनी मशीन को नष्ट कर दिया।
- 1745 में अपनी मौत तक बैस्लर ने कभी नहीं बताया कि उसकी मशीन कैसे काम करती थी
-    आज साइंस ऐसी डिवाइस बना चुका है, जो बिना बाहरी मदद के चलती रहती हैं। हालांकि ये काफी छोटी और खास कंडीशन में ही काम करती हैं जिससे इनका कोई व्यवहारिक इस्तेमाल नहीं है।
- ये आज तक रहस्य है कि बैस्लर ने करीब 7 फुट ऊंचे सिस्टम को इतने दिनों तक कैसे चलाया।

एडवर्ड लीडस्कलनिन

दुनिया भर के साइंटिस्ट, कारोबारी, रिसर्चर हमेशा किसी असंभव की तलाश में लगे रहते हैं। कई बार वो ऐसा कुछ हासिल भी कर लेते हैं। हालांकि असंभव को संभव बनाने के बाद भी कई साइंटिस्ट और कलाकारों ने अपनी खोज को राज ही रखा। उनकी मौत के बाद ये राज हमेशा के लिए खो गए ।

आपको बता रहा है कुछ ऐसे लोगों के बारे में जो अपने साथ ऐसे राज लेकर चले गए, जिससे आने वाले समय में दुनिया बदल सकती थी।
एडवर्ड लीडस्कलनिन
( अकेले खड़ा किया किला, नहीं बताया कैसे)
-    भारत के रॉक गार्डन से सालों पहले अमेरिका में एडवर्ड ने कोरल कैसल बनाया था।
-    5 फुट कद के एडवर्ड ने अकेले ही कई टन भारी पत्थरों को लेकर ये कैसल बनाया।
- पूछे जाने पर उसने ऐसी डिवाइस के बारे में बताया जो घर्षण खत्म कर देती है। हालांकि इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी।
- उनकी प्रॉपर्टी में चोरी छिपे पहुंचे  कुछ टीनएजर ने बयान दिया था कि वो पत्थरों को ऐसे ले जाता है जैसे वो हवा से भरे गुब्बारे हों।
-    एडवर्ड सालों से मैग्नेट पर रिसर्च करता रहा था इस बारे में उसने कई रिसर्च पेपर भी निकाले थे।
-    कई एक्सपर्ट मानते हैं कि उसने मैग्नेट्स को इस्तेमाल करने की नया तरीका खोज लिया था।
-    आज मैग्नेट के इस्तेमाल से भारी चीजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में सफलता मिल चुकी है। वहीं मैग्नेट ट्रैक पर ट्रेन सफलता पूर्वक चल रहीं हैं।
- आज भी बड़ी संख्या में लोग इस कैसल को देखने पहुंचते हैं ।
- यह कैसल 1984 में अमेरिका की नैशनल रजिस्टर ऑफ हिस्टोरिक प्लेस में दर्ज किया गया।