नागा साधु,हिन्दू धर्म के रक्षक। !!!
शरीर पर गाढ़ा भभूत लागये,बिना किसी वस्त्र के,पूस की ठंड में लड़कों की भांति जोशीले नागा साधु हिन्दू धर्म के रक्षक है।
आपने अकसर इलाहाबाद,उज्जैन,नासिक इत्यादि जगहों पर हर 6 और 12 वर्ष के अंतराल पर आयोजित होने वाले अर्ध-कुंभ और कुंभ मेलो में नागा साधुओ को अवश्य देखा होगा। इन नागाओं की शुरुवात आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की थी।दरअसल हर नागा के जीवन मे ये पल अनमोल होता है,कुंभ ही वो अवसर है जिसकी प्रतीक्षा में वो वर्षो का अपना जीवन हिमालय चोटी की बर्फ़ीली और खतरों से भरी गुफाओं में गुजार देता है। कुंभ मेलो में ही नए नागा साधुओ को शपथ दिलाई जाती है और हर पवित्र स्नान के अवसर पर डुबकी सर्वप्रथम यही साधु लगाते है।
#नागा बनने की प्रक्रिया !
नागा बनना कतई आसान नही होता,इसमे कम से कम 6 वर्ष लगते है और इस दौरान नए सदस्य एक लंगोट के सिवा कुछ नही पहनते तथा कुंभ मेले में इस पंथ में शामिल होने के साथ ही वो अपनी लंगोट का भी त्याग कर देते है। कोई भी अखाड़ा जांच करके ही नए सदस्य को अपने मे शामिल करता है,पहलव उसे ब्रह्मचर्य फिर महापुरुष और अंत मे अवधूत बनकर रहना पड़ता है। इसकी अंतिम प्रक्रिया कुंभ में होती है जहां वो स्वयं का पिंडदान करके इंसानी जीवन को समाप्त करके नागा जीवन मे प्रवेश करते है।
#वर्तमान स्थिति.....
भारत की आजादी के बाद इन नागाओं ने अपना सैन्य जीवन त्याग दिया और हिन्दू धर्म के रक्षक और प्रचारक के तौर पर आज भी कार्यरत है। इस वक़्त 13 प्रमुख अखाड़ो के माध्यम से ये अपनी बात रखते है जिसमे निरंजनी,जूना,महानिर्वाण,अटल,निर्मोही अखाड़ा इत्यादि प्रमुख है।
#जीवन शैली.......
इन नागाओं के आश्रम हरिद्वार में स्थित बाकी आश्रमो से कोसो दूर होते है जहां ये कठिन तप से जीवन व्यतीते करते है। स्वभाव से हठी और क्रोध आने पर ये साक्षात भगवान शिव नजर आते है,परंतु शायद ही इन्होंने कभी अपना क्रोध दिखाया हो,यदि कोई इन्हें बेवजह तंग करता है तो ये जरूर गुस्सा हो उठते है। नागा साधु तीन तरह के योग करते है जो इन्हें भीषण ठंड से बचाकर रखता है,ये अपने खानपान में विशेष संयम बरतते है। कुंभ मेला में चाहे भारतीय हो अथवा विदेशी सबमे इनको देखने की जिज्ञासा होती है,ये सिर्फ शाही स्नान के वक़्त प्रकट होते है और जनता तथा मीडिया से खास दूरी बनाकर रखते है। ज्यादातर नागा पुरुष ही होते है अपितु कुछ महिलाएं भी नागा होती है जो सम्पूर्णतः नग्न नही किंतु एक गेरुवा वस्त्र ओढ़कर जीवन व्यतीत करती है।
आज के वर्तमान परिपेक्ष में इस लेख के माध्यम से आज की जनरेशन को नागा साधुओ से परिचय कराना मात्र है। विदेशी मीडिया और वहां की जनता इन साधुओ को देखकर हमारा मजाक उड़ाती है और इसे नौटंकी मानती है परंतु इन साधुओ के तप के बारे में जानकर कोई हक्के-बक्के हो उठते है। हमे इन साधुओ का मजाक नही उड़ाना चाहिए क्योंकि ये हमारे रक्षक है और हिन्दू धर्म के लिए अपना प्राण त्यागने से भी नही चूकते।
ॐ नमः शिवाय
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