धर्म बन्धुवों,
आप सबने दूरदर्शन पर किसी समय बी.आर.चोपड़ा निर्देशित महाभारत सीरीयल देखा होगा.. जिसमें अर्जुन का किरदार फिरोज़ खान, कुंती का किरदार नाज़नीन खान, भीष्म पितामह का किरदार मुकेश खन्ना, भीम का किरदार प्रवीण कुमार, कर्ण का किरदार पंकज धीर, कृष्ण का किरदार नितिश भारद्वाज ने निभाया आदि..तो इस महाभारत सीरीयल में केवल भीष्म के अभिनय मात्र से ही मुकेश खन्ना जी में इतना स्वाभिमान आया कि उन्होंने अजीवन ब्रह्मचारी रहने का संकल्प लिया है और वो हर बात में स्वाभिमान का ध्यान रखते हैं.. तो महाभारत की समाप्ति के बाद उन्होंने फिल्मों में भी स्वाभिमानी क्षत्रीय राजपूत का ही अभिनय किया है..फिरोज़ खान एक मुसलमान हैं जिसने बहुत सी पंजाबी और हिंदी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई है.. वो भी अर्जुन के किरदार से ऐसा प्रभावित हुए कि उन्होंने ईस्लाम छोड़ कर वैदिक धर्मी बनना स्वीकार किया और अपना वास्तविक नाम भी अर्जुन ही रख लिया..नाज़नीन खान एक मुस्लिम अभिनेत्री हैं जिन्होंने केवल ये महाभारत सीरीयल ही किया इससे उनके मन में ईस्लाम के स्थान पर आर्यों का वो स्वाभिमान भर गया जो महाभारत के समय था.. और उन्होंने भी ईस्लाम को त्याग करके सनातन धर्म में वापसी की है..अरुण गोविल कहीं जाते थे तो लोग उनको श्री राम समझ कर पैरों पर गिर जाते थे।और अरविंद त्रिवेदी जिन्हों ने रामायण में रावणका रोल निभाया था उन्हे अयोध्या दर्शन करने से इसलिए रोक दिया था कि उन्हों ने हनुमान जी को बार बार मरकट कहा था......सीता का अभिनय करने वाली दीपिका जी ने आगे मिलने वाली कई फिल्में ठुकरा दी थीं।
तो मित्रों आप समझ सकते हैं कि आर्यों का स्वाभिमान महाभारत काल तक कितना ऊँचा था ? जिसके केवल अभिनय मात्र से ही इन लोगों को परिवर्तित कर दिया है तो सोचो यदि वही प्राचीन स्वाभिमान पुनः आजाए तो कितने लोग परिवर्तित हो जायेंगे ? और राष्ट्र में कैसा परिवर्तन आ सकेगा ?सीख.. हम बीते युगों से नये युग का करें स्वागत..जो सेकुलर कुत्ते आज हमारी संस्कृती का मजाक उड़ाते है वो क्या जाने हिन्दू संस्कृती और सभ्यता की महीमाऔर सेकुलर कहते हैं फिल्मे धारावाहिक बस मनोरंजन का माध्यम हैं।ये भारत है यहां रोड पर बैठा मोची भी पहली बोहनी को माथे से लगाता है और सिंधी सेठ भी पहली बोहनी माथे से लगाता है।ये आस्था का देश है उस पर चोट करोगे तो व्यवस्था हिल जाएगी......तुम भी सीख लो।
जय श्रीराम....
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