सनातन हिन्दु धर्म में मंत्र जप का अधिक महत्व है, मंत्र का जप करने के लिए जिस माला का प्रयोग किया जाता है, उसमें १०८ मोतियां होती हैं, लेकिन आप जानते हैं कि इन मोतियों की संख्या १०८ ही क्यों होती है।
मान्यता के अनुसार माला के १०८ दाने और सूर्य की कलाओं का रहस्यपूर्ण संबंध है। एक वर्ष में सूर्य २१६००० कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन। अत: सूर्य छह माह की एक स्थिति में १०८००० बार कलाएं बदलता है।
१०८ मोतियों की माला से ही क्यों करते हैं जाप? हिन्दु धर्म में मंत्र जप का खास महत्व है, मंत्र का जप करने के लिए जिस माला का प्रयोग किया जाता है,
इसी संख्या १०८००० से अंतिम तीन शून्य हटाकर माला के १०८ मोती निर्धारित किए गए हैं। माला का एक-एक दाना सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है। सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं, इसी कारण से सूर्य की कलाओं के आधार पर दानों की संख्या १०८ निर्धारित की गई है।
मान्यता ये भी है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल २७ नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के ४ चरण होते हैं और २७ नक्षत्रों के कुल चरण १०८ ही होते हैं। माला का एक- एक दाना नक्षत्र के एक- एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
वंदे मातरम् ......
(-}-► ओंकर
Friday, 11 December 2015
हिन्दू सनातन धर्म
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment