शाहरुख़ खान के पचास वे जन्म दिवस के अवसर पर शाहरुख़ द्वारा दिए गए वक्तव्य के बाद, उसे लिखा यह खुला ख़त –
तब क्यूँ थे मौन, आप खान साहब..?
‘किंग खान’, शाहरुख़….
आज के समाचार पत्रों में, आपने आपके पचासवे जन्मदिन पर
दिया ‘उद्बोधन’ पढ़ा.
आपने कहा, ‘देश में असहिष्णुता बढ़ रही हैं…’
आपने ये भी कहा की इस वातावरण के खिलाफ
पुरस्कार लौटाने वाले बहादुर हैं..!
शाहरुख़ भाई,
मुझे दु:ख से भी ज्यादा अचरज लगा..!
मैं याद करने लगा पुराने वाकया…
मैं खंगालने लगा, पुरानी अखबारों की कतरने…
मैं ढूंढता रहा गूगल पर…
लेकिन कही भी मुझे,
काश्मीर के अलगाव वादियों के खिलाफ आपकी टिप्पणी नहीं दिखी.
कश्मीर घाटी असहिष्णुता का जीता जागता उदाहरण हैं.
१९८९ से, वहां के पुश्तैनी हिन्दुओं को
कश्मीरी मुसलमानों ने घाटी से भगाया हैं.
उनको मार-पीट कर, उनकी ह्त्या कर,
उनकी माँ-बहनों की इज्जत से खिलवाड़ कर
भगाया हैं…
कई लाख कश्मीरी हिन्दू आज भी विस्थापित हैं.
जम्मू और दिल्ली के शरणार्थी शिबिरों मेरह रहे हैं.
और आज भी जब कश्मीरी हिन्दुओंको
घाटी में पुनः बसाने की बात होती हैं….
तो शाहरुख़ भाई,
कश्मीर के अलगाव वादी उनका पुरजोर विरोध करते हैं..
उनके ह्त्या की खुली धमकी देते हैं..
और देश का तमाम सहिष्णु, सेक्युलर कुनबा
ख़ामोशी की चादर ओढ़े तान कर सोता हैं..!
शाहरुख़ भाई,
तब आपको असहिष्णुता नहीं दिखती..!
असहिष्णुता के मायने होते हैं –
सह-अस्तित्व को नकारना.
कश्मीर घाटी हिन्दुओं के सह-अस्तित्व को नकारती हैं..
वहां के अलगाव वादी
श्रीनगर के लाल चौक में पाकिस्तान के झंडे फहराते हैं..
और आप चुपचाप बैठे रहते हैं, शाहरुख़ मियां..!
अपने दक्षिण का एक छोटा सा प्रदेश हैं – केरल.
इस प्रदेश में पिछले पच्चीस वर्षों से
सैकड़ों हिन्दुओं को
वहां की कम्युनिस्ट पार्टी और मुस्लिम लीग के कार्यकर्ताओं ने
जान से मारा हैं..
केरल का कन्नूर जिला ऐसे अनेक दहशतवादी हमलों का
साक्षी रहा हैं.
अनेक हिन्दुओं को जिंदगी भर के लिए अपाहिज किया गया हैं,
क्यूँ..?
वें सारे संघ की राष्ट्रवादी सोच को मानते थे इसलिए !
क्या ये असहिष्णुता नहीं हैं..?
लेकिन आपने इस पर कभी टिप्पणी नहीं की.
हिन्दुओं को मारना, काटना, अपाहिज करना..
यह आपकी सहिष्णुता की व्याख्या में आता हैं..!
आप जिन पुरस्कार लौटाने वाले
साहित्य कर्मियों और रंग कर्मियो को
बहादुर बोल रहे हैं,
क्या उनसे आपने पूछा हैं –
की सलमान रश्दी की ‘सेटनिक वर्सेज’
पर प्रतिबन्ध लगाते समय वें कहां पर थे ?
हैदराबाद में जब लेखिका तस्लीमा नसरीन को
भरे कार्यक्रम में मारा गया, पीटा गया,
मुसलिम अतिवादियों व्दारा
बेइज्जत किया गया,
तब इनका ‘अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य’ कहा गया था..?
तब इनकी ‘सहिष्णुता’ कहां घास चरने गयी थे..?
शाहरुख़ मियां,
आपके शहर मुंबई में,
आपके नाक के नीचे
दो वर्ष पहले
जब ‘रझा अकादमी’ के
कार्यकर्ताओं ने
बीच शहर में दंगा मचाया,
अमर जवान’ की प्रतिमा को तोड़ा,
एक लेडी कांस्टेबल का शर्ट फाड़ा….
तब आप की सहिष्णुता कहा गयी थी..?
तब क्यूँ खामोश थे आप..?
मियां शाहरुख़,
आप हिन्दुस्तान में हैं,
इसीलिए सहिष्णुता की बाते कर सकते हैं.
हिन्दू बहुसंख्यांक होना यह सहिष्णुता की गारंटी हैं..!
आज के ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में
‘चेतन भगत’ का लेख अवश्य पढ़े.
आप के जैसे वे भी सेलिब्रिटी हैं.
उन्होंने लिखा हैं –
‘एक हिन्दू बालक होकर भी
मैं कान्वेंट में, ख्रिश्चन स्कूल में पला / बढ़ा.
मैं येशु के गीत गाता था.
मुझे और मेरे घरवालों को वह
अत्यंत स्वाभाविक लगता था.
सोचिये,
किसी ख्रिश्चन या मुसलिम बहुल इलाके में
किसी स्कूल में
यदि गीता के श्लोक और
रामायण की चौपाइयां पढ़ाई जाए
तो क्या कोई इसाई या मुस्लिम पिता
अपने बच्चे को पढ़ाएगा..?
नहीं ना..?
क्योंकि सहिष्णुता तो हिन्दुओं के खून में हैं.
और इसीलिए
मैं धिक्कार करता हूँ
आपके वक्तव्य को.
मैं धिक्कार करता हूँ आपकी दूषित मानसिकता को.
मैं धिक्कारता हूँ आपकी दोगली और झूटी सोच को.
मैं तो बस इतना कर सकता हूँ..
मियां शाहरुख़…
मैं आज से आप की फिल्मे देखना बंद कर रहा हूँ.!
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