कृपया ध्यान से पढे
मेने बहुत से मुल्लो से पूछा
हम हिन्दू तो हमारे त्यौहार भगवानको मानते है इसलिए मनाते है
दीपावली को श्री राम लंका जीत कर आये थे उस खुशी में मनाते है
शिवरात्री को शिवजी पर्वती जी का विवाह हुआ इसलिए मनाते है
गणेश चतुर्थी को गणपति जी का जन्म हुआ इसलिए मनाते है
रक्षाबंधन पर द्रोपती जी ने कृष्ण भगवान्को राखी बंधी थी इसलिए मनाते है
जन्माष्टमी को कृष्ण भगवान् का जन्म हुआ इसलिए मनाते है
होली को होलिका जल गई और भक्त पहलाद नहीं जले इसलिए मनाते है
पर तुम मुल्ले रमजान और ईद क्यों मनाते हो तुम्हारा तो कोई अल्लाह खुदा कभी घर नहीं आया कोई युद्ध नहीं जिता तो किस खुशी में मनाते हो
किसी मुल्ले ने मुझे आजतक इस का जवाब नहीं दिया पर आज एक एक मुस्लिम जो हिन्दू बन गया है उसने मुझे बताया की ईद रमजान क्यों मनाते है
उसने कहा की सब मुल्ले चुतिये है
मोहम्मद ने अपनी चाँद सी बेटी आइशा से निकाह किया था तब 30 दिनों तक आइशा मोहम्मद के साथ सोने को राजी नहीं हुई आइशा को सूरज ढलने के बाद एक ही टाइम खाना दिया जाता था 30 दिनों के बाद फिर आइशा राजी हो गई तो मोहम्मद ने अपनी बेटी आइशा के साथ पहली सुहागरात मनाई थी
तब से मुल्ले आइशा के लिए 30 दिन तक शाम को ही खाना खाने लगे उसे रमजान कहने लगे चाँद जेसी आइशा के हा कहने से चाँद को देखकर मोहम्मद की याद में ईद मानाने लगे है इस तरह रमजान और ईद मनाई जाने लगी
अब आप इसे ईद नहीं मोहम्मद की निकाह की सलगिरा भी कह सकते हो
Thursday, 5 November 2015
कड़क सच
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