Tuesday 30 May 2017

धर्मो रक्षति रक्षतः

आदि शंकराचार्य जी के जन्म स्थान केरल राज्य में खुलेआम गौ वध किया गया ,
किन्तु
चार धार्मिक मठों शृंगेरी शंकराचार्यपीठ,
जगन्नाथपुरी में गोवर्धनपीठ, द्वारिका में शारदामठ
बद्रिकाश्रम में ज्योतिर्पीठ
के छत्रधारी शंकराचार्य

कुम्भकर्णी निद्रा में लीन हैं।

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्

‘‘जो पुरूष धर्म का नाश करता है, उसी का नाश धर्म कर देता है, और जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म भी रक्षा करता है । इसलिए मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले, इस भय से धर्म का हनन अर्थात् त्याग कभी न करना चाहिए ।''

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