Tuesday 13 December 2016

थोप्पपुकरनम माफ़ी मांगने की प्राचीन परम्मप्रा


दक्षिण की एक कथा है - श्रीगणेश जी जब छोटे थे, तब बड़े ही नटखट थे ।
एक बार श्री विष्णु जी गणेश जी देखने कैलाश पहुंचे ।
गणेश जी को विष्णु भगवान् का चक्र बड़ा ही अच्छा लगा । उन्हें चक्र एक खिलौने जैसा लगा तो उन्होंने भगवान् श्री विष्णु से चक्र माँगा । विष्णु जी ने चक्र गणेश जी को दे दिया ।
गणेश जी थोड़ी देर तक तो चक्र को उलट-पलट कर देखते रहे । फिर अचानक ही उन्होंने चक्र अपने मुंह में रख लिया ।
अब विष्णु भगवान् - बड़े परेशान । कैसे निकालें चक्र श्री गणेश के मुँह से । उन्होंने बड़े प्यार से गणेश जी से विनती की । उन्हें मनाने की कोशिश की ।
पर सब व्यर्थ ।
गणेश जी का मुँह कुप्पे सा फूला तो फूला ही रहा परंतु उन्होंने मुख नहीं खोला ।
विष्णु भगवान् सोच में पड़ गये । ऐसा क्या करें कि गणेश जी अपना मुँह खोल दें ।
बहुत सोच-विचार करने पर विष्णु भगवान् को एक उपाय ही सूझा कि किसी तरह गणेश जी को हँसाया जाए ।
जब वह हँसेंगे तो उनका मुँह खुलेगा और चक्र उनके मुँह से निकल जाएगा ।
बस फिर क्या था - भगवान् विष्णु गणेश जी को हँसाने के लिए तरह-तरह की कोशिशें करने लगे, किन्तु भगवान् विष्णु की हर कोशिश बेकार रही ।
आखिर में विष्णु भगवान् ने जैसे हार मान ली और रोनी सी सूरत बनाकर दाँये हाथ से बाँया कान और बाँये हाथ से दाँया कान पकड़ क्षमा याचना करने लगे । पहली बार में तो गणेश जी पर भगवान् विष्णु के इस कौतुकता भरे करतब का कोई असर नहीं हुआ ।
पर जब बार-बार भगवान् विष्णु उसी तरह, कभी दाँये, कभी बाँये प्रकट होने लगे ।
कभी जमीन से ऊपर हवा में तो कभी जमीन पर, उछलते-कूदते क्षमा मांगने की मुद्रा में प्रकट होने लगे तो गणेश जी के लिए अपनी हँसी रोकना मुश्किल हो गया । उन्होंने बड़े जोर से अट्टहास किया और हँसते-हँसते लोटपोट हो गये । जैसे ही गणेश जी को हँसी आई, चक्र उनके मुँह से निकल भगवान् विष्णु की अँगुलियों में समा गया ।
तभी से थोप्पुकरणम द्वारा श्री गणेश को प्रसन्न करने की परम्परा ने जन्म लिया ।
आम तौर पर जब किसी को किसी से क्षमा माँगनी हो, सॉरी कहना हो तो लोग बाँये हाथ से बाँया कान और दाँये हाथ से दाँया कान पकड़ कर क्षमा मांगते हैं, पर जब दाँये हाथ से बाँया कान और बाँये हाथ से दाँया कान पकड़ कर क्षमा माँगी जाए तो उसे थोप्पुकरणम कहते हैं ।
।।श्री गणेशाय नमः।।

No comments:

Post a Comment