Sunday 29 May 2016

उधम सिंह

मित्रो सन 1919 को एक करूर अंग्रेज़ अधिकारी
भारत मे आया था जिसका नाम था डायर !
अमृतसर मे उसकी पोस्टिंग की गई थी और उसने
एक रोलेट एक्ट नाम का कानून बनाया जिसमे
नागरिकों के मूल अधिकार खत्म होने वाले थे !
और नागरिकों की जो थोड़ी बहुत बची कूची
आजादी थी वो भी अंग्रेज़ो के पास जाने
वाली थी ! इस रोलेट एक्ट का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग मे एक बड़ी सभा आयोजित की गई थी ! जिसमे 25000 लोग शामिल हुए थे ! उस बड़ी सभा मे डायर ने अंधाधुंध गोलियां चलवायी थी ! अगर आप मे से किसी ने पुलिस या सेना मे नोकरी की हो तो आप अंदाजा लगा सकते हैं ! 15 मिनट के अंदर 1650 राउंड गोलियां चलवाई थी डायर ने ! और 3000 क्रांतिकारी वहीं तड़प तड़प के मर गए थे ! आप मे से किसी ने जलियाँवाला बाग देखा हो
तो वहाँ अंदर जाने और बाहर आने के लिए एक ही
दरवाजा है वो भी चार दीवारी से घिरा हुआ
है और दरवाजा भी मुश्किल से 4 से 5 फुट चोड़ा
है ! उस दरवाजे के बाहर डायर ने तोप लगवा दी
थी ताकि कोई निकल के बाहर न जा पाये ! और
अंदर उसके दो कुएं है जिसको अंधा कुंआ के नाम से जाना जाता है ! 1650 राउंड गोलियां जब. चलायी गई ! जो लोग गोलियों के शिकार हुये
वो तो वही शहीद हो गए और जो बच गए
उन्होने ने जान बचाने के लिए कुएं मे छलांग लगा
दी और कुंआ लाशों से भर गया !
और 15 मिनट तक गोलियां चलाते हुए डायर वहाँ
से हँसते हुए चला गया और जाते हुये अमृतसर की
सड्को पर जो उसे लोग मिले उन्हे गोलियां मार
कर तोप के पीछे बांध कर घसीटता गया ! इसके
लिए उसे अँग्रेजी संसद से ईनाम मिला था उसका
प्रमोशन कर दिया गया था और उसको भारत से
लंदन भेज दिया गया था और बड़े ओहदे पर !
उधम सिंह उस वक्त 11 साल के थे और ये ह्त्याकांड उन्होने अपनी आंखो से देखा था ! और उन्होने संकल्प लिया था संकल्प ये था जिस तरह डायर ने मेरे देश वासियो को इतनी क्रूरता से मारा हैं इस डायर को मैं जिंदा नहीं छोड़ूँगा ! यही
मेरी ज़िंदगी का आखिरी संकल्प हैं ! आपको एक
और बात मालूम होगी उधम सिंह की वह घर से
गरीब थे माता पिता का साया उनसे उठ चुका
था आनाथ आश्रम मे पल कर बड़े हुये थे ! बड़े भाई थे उनकी मौत हो चुकी थी किसी बीमारी से !
अब आर्थिक हालत अच्छे नहीं थे संकल्प ले लिया
था डायर को मारने का ! उसके लिए योजना
बनाई लंदन जाने की ! उसके लिए पैसे नहीं थे ! तो उन्होने सोचा मैं किसी आगे हाथ फैलाऊँ इससे
अच्छा खुद मेहनत-मजदूरी करूँ ! फिर उन्होने
carpenter (लकड़ी का काम किया) ! और कुछ
पैसे कमा अमेरिका गए अमेरिका से फिर लंदन गए !लंदन जाकर फिर किसी होटल मे नोकरी की
पानी पिलाने की ताकि कुछ पैसे इकठे हो और
उससे बंदूक खरीदी जा सके !
और ये सब काम करते करते शहीदे आजम उधम सिंह को 21 साल लग गए पूरे 21 साल ! 1919 मे
जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ था और
1940 मे पूरे 21 साल बाद उन्होने अपना संकल्प पूरा किया 21 साल तक वो मेहनत करते रहे,इधर उधर भागते रहे ,जिंदा रहे सिर्फ अपना संकल्प पूरा करने ले लिए !
अंत 1940 मे Caxton Hall एक जगह है लंदन मे वहाँ डायर को सम्मान दिया जा रहा था मालाएँ
आदि पहनाई जा रही थी उधम सिंह वहाँ पहुंचे थे
और अपने साथ लाई किताब मे छिपी बंदूक
निकाल एक साथ 3 गोलियां डायर के सीने मे
उतार दी ! 3 गोलियां मार कर एक ही वाकय
कहा था कि आज मैंने 21 साल पहले लिया अपना
संकल्प पूरा कर लिया है ! और मैं अब इसके बाद एक मिनट जिंदा नहीं रहना चाहता ! तो जब
उन्होने बंदूक अंग्रेज़ अधिकारी को सोंपी तो
अंग्रेज़ अधिकारी के हाथ कांप रहे थे ! उसको लग
रहा था कहीं मुझे भी न मार दे ! तो उधम सिंह ने
कहा घबराओ मत मेरे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है
मेरी तो डायर से दुश्मनी थी जिसने मेरे देश के
3000 बेकसूर लोगो को तड़पा -तड़पा कर मारा
था !
तो मित्रो हमारे क्रांतिकारियों का इतना
ऊंचा आदर्श था जो संकल्प लिया है उसी की
पूर्ति के लिए जीवन लगा देना है उसके लिए बेशक
10 साल लगे 15 साल लगे ! 20 लगे 21 साल लगे ! ये प्रेरणा हम सबको शहीदे आजम उधम सिंह के जीवन से लेनी चाहिए ! माँ भारती के इस पुत्र को दिल से सलाम !
वन्देमातरम !

चंद्रशेखर आजाद की मौत का कडवा सच....

✏चंद्रशेखर आजाद की मौत का कडवा सच....
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📃चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल आज भी लखनऊ के सीआइडी ऑफिस १- गोखले मार्ग मे रखी है .. उस फ़ाइल को नेहरु ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया, इतना ही नही नेहरु ने यूपी के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त को उस फ़ाइल को नष्ट करने का आदेश दिया था लेकिन चूँकि पन्त जी खुद एक महान क्रांतिकारी रहे थे इसलिए उन्होंने नेहरु को झूठी सुचना दी की उस फ़ाइल को नष्ट कर
दिया गया है ..उस फ़ाइल मे इलाहाबाद के तत्कालीन पुलिस सुपरिटेंडेंट मिस्टर नॉट वावर के बयान दर्ज है जिसने अगुवाई मे ही पुलिस ने अल्फ्रेड पार्क मे बैठे आजाद को घेर लिया था और एक भीषण गोलीबारी के बाद आज़ाद शहीद हुए |
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📃नॉट वावर ने अपने बयान मे कहा है कि " मै खाना खा रहा था तभी नेहरु का एक संदेशवाहक आया उसने कहा कि नेहरु जी ने एक संदेश दिया है कि आपका शिकार अल्फ्रेड पार्क मे है और तीन बजे तक रहेगा... मै कुछ समझा नही फिर मैं तुरंत आनंद भवन भागा और नेहरु ने बताया कि अभी आज़ाद अपने साथियो के साथ आया था वो रूस भागने के लिए बारह सौ रूपये मांग रहा था मैंने उसे अल्फ्रेड पार्क मे बैठने
को कहा है " फिर मै बिना देरी किये पुलिस बल लेकर अल्फ्रेड पार्क को चारो ओर घेर लिया और आजाद को आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसने अपना माउजर निकालकर हमारे एक इंस्पेक्टर को मार दिया फिर मैंने भी गोली चलाने का हुकम दिया .. पांच गोली से आजाद ने हमारे पांच लोगो को मारा फिर छठी गोली अपने कनपटी पर मार दी |"
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📃27 फरवरी 1931, सुबह आजाद नेहरु से आनंद भवन में उनसे भगत सिंह की फांसी की सजा को उम्र केद में बदलवाने के लिए मिलने गये, क्यों की वायसराय लार्ड इरविन से नेहरु के अच्छे ''सम्बन्ध'' थे, पर नेहरु ने आजाद की बात नही मानी,दोनों में आपस में तीखी बहस हुयी, और नेहरु ने तुरंत आजाद को आनंद भवन से निकल जाने को कहा । आनंद भवन से निकल कर आजाद सीधे अपनी साइकिल से अल्फ्रेड पार्क गये । इसी पार्क में नाट बाबर के साथ मुठभेड़ में वो शहीद हुए थे ।अब आप अंदाजा लगा लीजिये की उनकी मुखबरी किसने की ? आजाद के लाहोर में होने की जानकारी सिर्फ नेहरु को थी ,अंग्रेजो को उनके बारे में जानकारी किसने दी ?
जिसे अंग्रेज शासन इतने सालो तक पकड़ नही सका,तलाश नही सका था, उसे अंग्रेजो ने 40 मिनट में तलाश कर, अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया वो भी पूरी पुलिस फ़ोर्स और तेयारी के साथ ?
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📃आज़ाद पहले कानपूर गणेश शंकर विद्यार्थी जी के पास गए फिर वहाँ तय हुआ की स्टालिन की मदद ली जाये क्योकि स्टालिन ने खुद ही आजाद को रूस बुलाया था
सभी साथियो को रूस जाने के लिए बारह सौ रूपये की जरूरत थी,जो उनके पास नही था इसलिए आजाद ने प्रस्ताव रखा कि क्यों न नेहरु से पैसे माँगा जाये लेकिन इस प्रस्ताव का सभी ने विरोध किया और कहा कि नेहरु तो अंग्रेजो का दलाल है लेकिन आजाद ने कहा कुछ भी हो आखिर उसके सीने मे भी तो एक भारतीय दिल है वो मना नही करेगा |
फिर आज़ाद अकेले ही कानपूर से इलाहबाद रवाना हो गए और आनंद भवन गए उनको सामने देखकर नेहरु चौक उठा | आजाद ने उसे बताया कि हम सब स्टालिन के पास रूस जाना चाहते है क्योकि उन्होंने हमे बुलाया है और मदद करने का प्रस्ताव भेजा है ,पहले तो नेहरु काफी गुस्सा हुआ फिर तुरंत ही मान गया और कहा कि तुम अल्फ्रेड पार्क बैठो मेरा आदमी तीन बजे तुम्हे वहाँ ही पैसे दे देगा |

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Saturday 28 May 2016

Difference Between UPSC and UPPSC

What is the difference between UPSC and UPPSC exam?

📖Difference are following between UPSC Board and UPPSC board :

📖UPSC Board : Union Public Service Commission : It is a Central Government Organized Board which has so many functions in India and UPSC board is responsible to announce the recruitment, conduct the exam and selection of the candidates for final appointment for central government jobs or posts and UPSC board also work for the promotions for state board civil officers to IAS and other services in central government and mainly UPSC conduct following posts exams :
NDA, CDS, SCRA, IAS, IPS, IFS, IES, CMS, Geologist etc.
If the candidate has been selected by the UPSC board for final appointment in India then he/she may be sent to anywhere in India means there is no criteria about the state/UTs or Districts

📖UPPSC : Uttar Pradesh Public Service Commission : It is a state government organized board which works same as UPSC but UPPSC board has limitation to work in the state means UPPSC board can only manage and work for Uttar Pradesh means for a particular state and can not inter-fair in the functions of central government UPSC board means the recruitment, exams and selection but this board can not do the promotion of the state board selected candidates to the central government civil services.

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Friday 27 May 2016

बाबा बंदा बहादुर सिंह

बाबा बंदा सिंह बहादुर सिख इतिहास में तथा भारतीय इतिहास में गगन में ध्रुव तारे की भांति चमकता रहेगा। कौम को कुर्बानी तथा बहादुरी के। आशीर्वाद की राहों में बाबा बंदा सिंह बहादुर की याद नई पीढिय़ों के लिए एक संदेश देती रहेगी। उनकी समस्त जीवनशैली ने कौम के लिए नया इतिहास रच कर, उसमें बहादुरी, दया, सहृदयता, सच्चाई तथा कुर्बानी की नींव रखी, जिससे भविष्य के महलों को मजबूती मिली। यह कविता उनके लिए सटीक बैठती है :
सूरा सो पहचानिए, जो लड़े दीन के हेत।
पुर्जा-पुर्जा कट मरे, कबहूं न छाड़े खेत॥
बाबा बंदा सिंह बहादुर का जन्म 16 अक्तूबर, 1670 ई. को पुंछ जिले के गांव राजोरी (जम्मू) में हुआ। उनके पिता जी का नाम रामदेव था। वह राजपूत घराने के किसान परिवार से सम्बंध रखते थे। इतिहासकारों में उनके नाम के सम्बंध में कई मतभेद हैं। उनके बचपन का नाम रामदास, लक्ष्मणदास, नारायणदास बताया जाता है। बाबा बंदा सिंह बहादुर ने किशोरावस्था में ही घुड़सवारी, तीरअंदाजी, शिकार करने, तलवार चलाने में परिपक्वता हासिल कर ली थी। उनके जिस्म में संयम तथा उद्यम की बिजली चमकती थी जिसकी वजह से वह भविष्य में शत्रुओं के लिए कहर बनकर बरपे।
इतिहास बताता है कि वह 15 वर्ष की आयु में एक वैरागी साधु जानकी प्रसाद के सम्पर्क में आए तथा उनको गुरु धारण कर लिया। उनके गुरु ने उनका नाम माधोदास रख दिया। वैरागी माधोदास ने नांदेड़ के समीप, गोदावरी नदी के छोर पर योग साधना एकाग्रता के लिए एक शांत एवं आध्यात्मिक स्थान बनवाया। इस स्थान पर उन्होंने अपने जिस्म की समस्त आंतरिक शक्तियों को संयमित किया तथा योगी का रूप लिया।
तीन सितम्बर 1708 को डेरे नांदेड़ में माधोदास की मुलाकात श्री गुरु गोबिन्द सिंह से हुई। गुरु जी माधोदास की शारीरिक शक्ति, एकाग्रता तथा अन्य शक्तियां देखकर प्रसन्न हुए। उस समय उन्हें उस तरह के बहादुर, निडर, दलेर तथा संयमी व्यक्ति की आवश्यकता थी जिसमें नेतृत्व करने के समस्त गुण विद्यमान हों। बाबा बंदा बहादुर गुरु जी के सच्चे मित्र बन गये तथा गुरु जी की विचारधारा, सिद्धांतों से सहमत हो गए। गुरु जी ने माधोदास का नाम बंदा सिंह बहादुर रख दिया। गुरु जी ने उन्हें एक जत्थेदार, एक जरनैल बनाकर पंजाब की ओर भेजा। उनकी सहायता के लिए कुछ तीर, हथियार तथा अन्य सामग्री, चिन्ह इत्यादि भी दिए। बाबा बन्दा सिंह बहादुर के साथ पांच सिंह साहिबान : खालसा बाबा विनोद सिंह, बाबा काहन सिंह, बाबा बाज सिंह, भाई दया सिंह तथा भाई रण सिंह भी पंजाब के लिए रवाना हुए। यह अक्तूबर 1708 के करीब की बात है।
बताया जाता है कि दुश्मनों ने गुरु गोबिन्द सिंह को धोखा देकर छुरे (खंजर) से जख्मी कर दिया था। जब वह तीर चढ़ाने लगे तो जख्म खुल गए जिस कारण वह प्रभु चरणों में लीन हो गए।
गुरुजी के परिवार की शहीदी और गुरु जी का प्रभु चरणों में लीन होना बाबा बन्दा सिंह बहादुर के आक्रोश की ज्वाला बन गया। फिर क्या था, बाबा बंदा सिंह बहादुर ने युद्ध के मैदान में दुश्मनों के खूब दांत खट्टे किए। उनके साथ काफी सेना भी थी। बाबा बंदा सिंह बहादुर ने सोनीपत, कैथल, समाना, घुढ़ाम, ठसका, शाहबाद, मुस्तफाबाद, कपूरी, सफोरा, छतबनूड़ पर कब्जा कर लिया। 12 मई 1710 को भयंकर युद्ध में सूबेदार वजीर खां मारा गया। 14 मई 1710 को सिख विजयी बनकर सरहिंद में दाखिल हुए। बंदे ने साढौरा तथा नाहन के बीच मुख्लिसगढ़ को अपनी राजधानी बनाया जिसका नाम ‘लोहगढ़’ रखा। यहां रह कर ही उन्होंने गुरु नानक देव जी तथा गुरु गोबिन्द सिंह जी के नाम पर सिक्के जारी किए। सहारनपुर, जलालाबाद तथा ननौता जीतने के बाद इसी तरह बाबा बंदा सिंह बहादुर अपनी बहादुरी के जौहर दिखाते हुए तथा दुश्मनों के दांत खट्टे करते आगे ही आगे बढ़ते गए। अब सिख पंजाब के मालिक कहलाने लगे। उस समय का बादशाह बहादुर शाह स्वयं पंजाब में दाखिल हुआ तथा हालात के मुताबिक सिख पीछे आ गए।
बाबा बंदा सिंह बहादुर सहित सिख फिर लोहगढ़ के किले में आ गए। यहां उन्होंने चम्बा के राजा की पुत्री साहिब कौर से विवाह करवा लिया। साहिब कौर की कोख से एक पुत्र रंजीत सिंह पैदा हुआ।
18 फरवरी, 1712 को बादशाह बहादुर शाह की मृत्यु हो गई। बाबा बंदा सिंह बहादुर ने फिर चम्बा के क्षेत्र से निकल कर कई क्षेत्रों पर कब्जा किया। इसी तरह उन्होंने चम्बा के क्षेत्र से निकलकर मार्च 1715 को कलानौर एवं बटाला पर कब्जा किया। परन्तु मुगल फौज उनके पीछे लगी हुई थी। आखिर 7 दिसम्बर, 1715 ई. को मुगल फौज ने बाबा बंदा सिंह बहादुर तथा सिखों को भाई चंद की ऊंची विशाल हवेली में गुरदास नंगल में घेर लिया, जिसको गुरदास, नंगल की कच्ची गढ़ी या ‘गुरदास नंगल का थेहÓ कहा जाता है। यह गढ़ी गुरदासपुर से पांच किलोमीटर दूर स्थित है। शाही फौज का सिखों ने डटकर मुकाबला किया। गढ़ी में सिखों को घेरकर उनका आना-जाना, राशन तथा बाहरी प्रत्येक किस्म का सामग्री बंद कर दी। 7 दिसम्बर को शाही फौज ने गुरदास नंगल की गढ़ी पर कब्जा कर लिया।
इतिहास गवाह है कि बाबा बंदा सिंह बहादुर को शाही (मुगल) फौज कभी भी कैदी नहीं बना सकी थी। मगर उनके अपने ही साथी शाही फौज के साथ जा मिले। शाही फौज ने बाबा बंदा सिंह बहादुर के साथियों को अनेक लालच देकर खरीद लिया था, जिसके कारण उन्होंने बाबा बंदा सिंह बहादुर के सभी भेद शाही फौज को दे दिए। इसी वजह से बाबा बंदा सिंह बहादुर शाही फौज के कैदी बने। शाही फौज ने बाबा बंदा किंह बहादुर पर बहुत जुल्म किए। उनको एक बड़े लोहे के पिंजरे में बंद कर दिया गया। पिंजरा हाथी के ऊपर रखकर जुलूस की शक्ल में लाहौर ले जाया गया। पिंजरे के आगे-आगे सिखों के सिर नेज़ों पर ठूंसे गए। यह जुलूस 27 फरवरी, 1716 को दिल्ली में दाखिल हुआ। बाबा बंदा सिंह बहादुर की पत्नी तथा उनके चार वर्षीय पुत्र अजय सिंह को भी अनेक कष्टï दिए गए। 9 जून, 1716 को जुलूस की शक्ल में बाबा बंदा सिंह बहादुर तथा उनके पुत्र को अनेक सिखों के साथ कुतुबमीनार के समीप ख्वाज़ा कुतुबद्दीन, बख्तियार काकी के रोजे के पास पहुंचाया गया। उनके पुत्र अजय का दिल निकाल कर उनके मुंह में डाला गया। 9 जून, 1716 को दिल्ली मे अनेक कष्टï झेलते हुए बाबा बंदा सिंह बहादुर शहीद हो गए। उनको मुसलमान बनने को या मौत को स्वीकार करने के लिए कहा गया परन्तु वह हंस-हंस कर अपनी कौम पर जान न्योछावर कर गए। इतिहास में बाबा बंदा सिंह का नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगा।

घृतकुमारी के फायदे

आस पास तमाम ऐसी वनस्पतियां पाई जाती हैं जिनमें औषधीय गुण मिलते हैं। समझ और सजगता का अभाव होने के कारण इनका सही प्रयोग नहीं हो पाता। इन्हीं वस्पतियों में घृतकुमारी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। आयुर्वेद में इसे ग्वारपाठा, घी कुंवारा, स्थूलदला, कुमारी आदि नामों से इसे जाना जाता है। घृतकुमारी के पत्तों का इस्तेमाल यकृत विकार, आमवात, कोष्ठबद्धता, बवासीर, स्त्रियों के अनियमित मासिक चक्र और मोटापा घटाने के साथ ही चर्म रोग में भी लाभकारी होता है। घृतकुमारी सभी स्थानों पर पूरे वर्ष सुगमता से मिलता है। इसके गूदे में लौह, कैल्शियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम पाया जाता है।
*************************
एलोवेरा 5000  वर्षों से आयुर्वेदिक जांची -परखी औषधि—-
1- एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं।
2- एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। 3 से 4 चम्मच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है।
3- एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी से फायदा मिलता है।
4- एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्थ होते हैं।
5- एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर उचित रूप से बना रहता है।
एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग व पेट के विकारों को दूर करता है।
6- एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा की खराबी, मुहांसे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों, आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।
7- एलोवेरा का जूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है।
8- एलोवेरा का जूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।
9- शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है।
10- एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्वस्थ्य दिखती है। यह स्किन के कोलेजन और लचीलेपन को बढाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।
11- एलोवेरा के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा भीतर से खूबसूरत बनती है और बढती उम्र से त्वचा पर होने वाले कुप्रभाव भी कम होते हैं।
12- एलोवेरा के जूस का हर रोज सेवन करने से शरीर के जोडों के दर्द को कम किया जा सकता है।
13- एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम आदि में प्रयोग किया जा रहा है।

Wednesday 25 May 2016

घृतकुमारी के फायदे

आस पास तमाम ऐसी वनस्पतियां पाई जाती हैं जिनमें औषधीय गुण मिलते हैं। समझ और सजगता का अभाव होने के कारण इनका सही प्रयोग नहीं हो पाता। इन्हीं वस्पतियों में घृतकुमारी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। आयुर्वेद में इसे ग्वारपाठा, घी कुंवारा, स्थूलदला, कुमारी आदि नामों से इसे जाना जाता है। घृतकुमारी के पत्तों का इस्तेमाल यकृत विकार, आमवात, कोष्ठबद्धता, बवासीर, स्त्रियों के अनियमित मासिक चक्र और मोटापा घटाने के साथ ही चर्म रोग में भी लाभकारी होता है। घृतकुमारी सभी स्थानों पर पूरे वर्ष सुगमता से मिलता है। इसके गूदे में लौह, कैल्शियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम पाया जाता है।
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एलोवेरा 5000  वर्षों से आयुर्वेदिक जांची -परखी औषधि—-
1- एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं।
2- एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। 3 से 4 चम्मच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है।
3- एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी से फायदा मिलता है।
4- एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्थ होते हैं।
5- एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर उचित रूप से बना रहता है।
एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग व पेट के विकारों को दूर करता है।
6- एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा की खराबी, मुहांसे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों, आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।
7- एलोवेरा का जूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है।
8- एलोवेरा का जूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।
9- शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है।
10- एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्वस्थ्य दिखती है। यह स्किन के कोलेजन और लचीलेपन को बढाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।
11- एलोवेरा के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा भीतर से खूबसूरत बनती है और बढती उम्र से त्वचा पर होने वाले कुप्रभाव भी कम होते हैं।
12- एलोवेरा के जूस का हर रोज सेवन करने से शरीर के जोडों के दर्द को कम किया जा सकता है।
13- एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम आदि में प्रयोग किया जा रहा है।

Sunday 22 May 2016

TGT/ PGT Selection Procedure

💺💺💺Selection procedure: 💺💺💺

selection for the posts of Pravakta, and Prashikshit Snatak post will be done through the written examination, special qualification and personal interview test . all selection will be don under the board rule of 13 July 1989 and amended rule 7 august 2011
A stat level merit list will be prepared as are follows

📃A : 85% for the written examination for TGT / PGT

📃B: 10% for Personal Interview Test

📃C: 5% for special qualification which will be given as are following

C1 PHD / Dfil -2%, C2: M.ed 2% , C3 B.ed 1%

latest TGT Teacher Vacancy 2016

💺💺
Written examination paper pattern / Syllabus : board will conduct a state level written examination for the posts of trend graduate teacher and post graduate teacher. Written examination will contains one question paper for TGT and one paper for PGT. 

💺 Question of TGT and PGT examination will be related for subject for which they filled application form. All question of the written examination will be objective type and MCQ based.

💺💺💺
Examination Center: Agra, Allahabad, Kanpur, Gorakhpur, jhansi , Moradabad, Barely, meerut, Lucknow, Varanasi , Faizabad

all Teaching Job Notification 2016 ,

📃📃📃📃📃📃📃
How to apply

: previously all application form for UP TGT and PGT posts was invited via paper application form Performa but its expected that UP madhymik board will invites online application form for TGT Teacher and  PGT teacher vacancy. all interested candidates can fill application form online at the official website of Up SESSB.
Official website of UP TGT / PGT Recruitment Online application form submission is  :  www.upsessb.org

Address where to send the application form printout:
Sachiv Uttar pradesh Madhymik Siksha Sewa chayan board  , 23 allenganj Allahabad 211002

Application Form fee: rs 430 for general and OBC and rs 230 for SC and 130 ST categry ,
Candidate can deposit application form fee via E Challan , net banking, Debti card credit card etc .

Saturday 21 May 2016

CTET /TET

✏केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा

केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET/सीटीईटी) सीबीएसई द्वारा आयोजित पात्रता परीक्षा है। यह स्कूलों में अध्यापकों के लिये है। स्कूलों में छह से 14 वर्ष के बच्चों को
मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून के तहत शिक्षकों की कमी को पूरा करने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्कूलों में शिक्षकों की पात्रता परीक्षा का आयोजन की जा रही है। इसके तहत शिक्षकों की दक्षता, बुद्धिमता और योग्यता के साथ प्राथमिक एच् उच्च प्राथमिक स्तर पर चुनौतियों से निपटने में उनकी क्षमता का आकलन किया जाएगा।
सीटीईटी परीक्षा के दो पत्र होंगे जिसमें पहला पत्र उन लोगों के लिए होगा जो पहली कक्षा से पाचवी कक्षा को पढ़ाना चाहते हैं जबकि दूसरा पत्र उन लोगों के लिए होगा जो छठी कक्षा से आठवीं कक्षा को पढ़ाना चाहते हैं। जो लोग दोनों स्तरों पर कक्षाओं में पढ़ाना चाहते हैं। उन्हें दोनों पत्रों की परीक्षा देनी होगी।

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💺💺💺

✏Teacher Eligibility Test

Teacher Eligibility Test known as TET is an Indian
entrance examination for teachers. The test is mandatory for getting teaching jobs in government schools from Class 1 to Class 8. Paper 1 is meant for teachers opting for Class 1 to Class 5 and Paper 2 for Class 6 to Class 8. It is conducted by both Central government and State governments in India. Most states conduct their own TET. The test is conducted in order fulfill and achieve the goals of the Right of Children to Free and Compulsory Education Act .
History
TET was introduced by the Government of India in order to improve standards in teaching. It was held for the first time in 2011.[2] For teachers already working, they are supposed to clear the exam in two years time.

📃The Test
The exam is based on National Curriculum Framework. All graduates, including B.A, B.Sc, B.Com etc. are eligible to take the test. All B. Ed. graduates need to pass this exam to work as a teacher. A candidate has to score over 60 per cent to clear the eligibility test.The exam is divided into Paper 1 and Paper 2.

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The National Council for Teacher Education (NCTE) maintains the database.
Central Teacher Eligibility Test
In accordance with the provisions of sub-section (1) of Section 23 of the RTE Act, the National Council for Teacher Education (NCTE) had vide Notification dated 23 August 2010 and 29 July 2011 laid down the minimum qualifications for a person to be eligible for appointment as a teacher in classes I to VIII. It had been inter alia provided that one of the essential qualifications for a person to be eligible for appointment as a teacher in any of the schools referred to in clause (n) of section 2 of the RTE Act is that he/she should pass the Teacher Eligibility Test (TET) which will be conducted by the appropriate Government in accordance with the Guidelines framed by the NCTE. The examination is tough with qualification rates of 1% to 14% in the exams held so far.

CTET 2016 exam is going to conduct on 21 February 2016 and 18 September 2016. CTET scores will release in March 2016 for CTET Feb and in October for CTET Sept. Approximately 9 lac applicants appear for the examination.
The rationale for including the TET as a minimum qualification for a person to be eligible for appointment as a teacher is as under:
It would bring national standards and benchmark of teacher quality in the recruitment process;
It would induce teacher education institutions and students from these institutions to further improve their performance standards;
It would send a positive signal to all stakeholders that the Government lays special emphasis on teacher quality
The Ministry of Human Resource Development, Govt. of India has entrusted the responsibility of conducting the Central Teacher Eligibility Test (CTET) to the Central Board of Secondary Education Delhi.