Sunday 29 November 2015

1971 युद्ध का इतिहास

1971 युद्ध का झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है पाकिस्तान में

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अंकगणित के अनुसार 2+2 तो पूरे दुनिया के लिए 4 है मगर इतिहास में ये हर एक देश के भिन्न हो सकता है। लुटियंस बात कर रहे है ,1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध की जो की पूर्वी पाकिस्तान जो की अब बांग्लादेश है ! उसे एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए भारत ने युद्ध छेड़ा था। दोनों देशो मे इस युद्ध के बारे में वहाँ क छात्रो को अलग अलग बातें पढ़ाई जाती हैं।
1) भारत मे ये बताया जाता है की किस प्रकार भारतीय सेना और रॉ ने सूझ-बुझ और बहादुरी के साथ बांग्लादेश को याह्या खान (पाकिस्तान का तीसरा राष्ट्रपति,1969-71) की बर्बरता और तानाशाही से मुक्त किया और बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।

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2) बांग्लादेश उस समय बड़े पैमाने पर मानव अधिकारों के उल्लंघन झेल रहा था। लाखों औरतों और किशोर लड़की का बलात्कार, अत्याचार, कत्ल का अड्डा बना हुआ था बांग्लादेश।

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3)इस कोई शक नहीं पाकिस्तान की बर्बरता को छुपने के लिये Hamoodur Rahman Commission की रिपोर्ट कभी भी पब्लिक नही की गई लेकिन लुटियंस आपको बताने जा रहे है कि पाकिस्तान के छात्रो को इस जंग के बारे मे क्या पढ़ाया जाता है।

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4) पाकिस्तान की नई पीढ़ीयों को तथ्यात्मक रूप से गलत इतिहास बताते हुये युद्ध का कारण षड्यंत्र बताया जाता है। कक्षा नौ और दस के पाठ्यक्रम में 1971 युद्ध एम लिखे गए स्टोरी मे कहीं भी जुल्फिकार अली भुट्टो( या पीपीपी की भूमिका का उल्लेख नहीं हुआ है।
5)बंगालदेश के बनने के ये कारण गिनाए गए हैं: हिंदू शिक्षकों की भूमिका,अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र.
6) बताया गया है की कई हिन्दू शिक्षक जो की पूर्वी पाकिस्तान के विध्यालय मे पढ़ाया करते थे उन्होने पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों के खिलाफ बंगालियों के मन में नकारात्मक सोच पैदा की।

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7)    अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र के बारे ये बताया गया है की भारत लाखों हिन्दू जो की पूर्वी पाकिस्तान में रहते थे उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए पूर्वी पाकिस्तान को अलग करना चाहता था। रूस पाकिस्तान के खिलाफ था क्यूंकी पाकिस्तान ने अमेरिका को सैन्य ठिकानों की स्थापना के लिए अपने जमीन पर अनुमति दी थी दूसरी ओर, अमेरिका भी पूर्वी पाकिस्तान का विभाजन चाहता था। इन परिस्थितियों के तहत रूस ने खुले तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत की आक्रामकता का समर्थन किया।

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8)    कहीं भी पाकिस्तान सेनाओ द्वारा किये गये अत्याचार,हिंसा,बलात्कार और मुक्ति वाहिनी  के लोगो का कत्ल का जिक्र नही किया गया पाकिस्तान के इतिहास के पुस्तकों में। कितने सिविलियन मर गए? और ना ही  जुल्फिकार अली भुट्टो का मुजीब-उर-रहमान की अवामी लीग के साथ सत्ता साझा करने के कठोर रुख के बारे बताया गया है।

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9)    पाकिस्तान सेनाओं की बर्बरता की सच्चाई ना बता कर युद्ध का कारण षड्यंत्र, हिंदू शिक्षकों की भूमिका और भारत की भूमिका बता कर छात्रो को भ्रमित किया जा रहा है। पाकिस्तान में इतिहासकारों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार इस झूठे इतिहास से युवा पीढ़ी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिससे आगे चल कर पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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10) पश्चिम पाकिस्तानी पूर्वी पाकिस्तान को निचला दर्जा का मानते थे। इस बात का फील्ड मार्शल अयूब खान की बायोग्राफ़ि में उल्लेख किया गया है। पूर्वी पाकिस्तान मे लोगो का कला, साक्षरता और संगीत में रुचि उन्हे पश्चिम पाकिस्तान से सांस्कृतिक रूप से बेहतर बनाता था।
सच कहा गया है “ झूठ बेवजह दलील देता है,सत्या खुद अपना वकील होता है”

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