हिन्दू मंदिरों व् संस्थाओं मैं सरकारी हस्तक्षेप समाप्त करो
भारतीय हिन्दू परम्पराएं उस समय की बनी थी जब पूरा देश हिन्दू था और राजा हिन्दू का पालन व् रक्षा करते थे .संविधान मैं जो धाराएं रखी गयी थीं उनका मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यकों को उनकी सांस्कृतिक परम्पराओं के पालन की छूट के लिए थीं . यह कभी नहीं सोचा गया था की वोट बैंकों की राजनीती इस हिन्दू बाहुल्य देश मैं हिन्दुओं को ही अनाथ कर देगी जैसा की बंगाल मैं आज हो रहा है या जो सोनिया गाँधी व् आंध्र के मुख्य मंत्री रेड्डी ने इसाई धर्म के प्रसार व् हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन के लिए किया .इसी श्रेणी मैं वह सब कानून आते हैं जिनमें सरकार सिर्फ हिन्दू मंदिरों को अधिग्रहित कर सकती है मस्जिदों , चर्चों व् गुरुद्वारों को नहीं . यही हाल शिक्षा व् चेरिटेबल ट्रस्ट्स का है . सिर्फ हिन्दू ही उत्पीडन का शिकार है . हिन्दू त्योहारों की chhutiyaan कम कर दी गयीं . हिन्दू
त्योहारों के पाठ पुस्तकों से निकाल दिए गए .
हिन्दुओं के विरुद्ध भेदभाव समाप्त होना चाहिए व् इसकी शुरुआत मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण को समाप्त का प्रारम्भ होनी चाहिए .
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